एक दुखद प्रेम कहानी का अंत
बेंगलुरु में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना में, 36 वर्षीय आईटी कर्मी राकेश राजेंद्र खेडेकर ने अपनी पत्नी की हत्या के बाद पूरी रात उसके शव के पास बैठकर उससे बातें की। यह दर्दनाक घटना 26 मार्च की रात को उनके घर में हुई, जब एक मामूली बहस ने खूनी मोड़ ले लिया।
झगड़ा बना मौत की वजह
राकेश और उनकी 32 वर्षीय पत्नी गौरी अनिल सांबरेकर के बीच तब से तनाव चल रहा था जब वे एक महीने पहले महाराष्ट्र से बेंगलुरु आए थे। गौरी ने महाराष्ट्र में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और बेंगलुरु में नई नौकरी की तलाश कर रही थी, लेकिन काम नहीं मिलने की वजह से दोनों के बीच अकसर झगड़े होते थे।
घटना वाली रात भी दोनों के बीच इसी मुद्दे पर बहस हुई। जब बहस बढ़ गई, तो राकेश ने गौरी को थप्पड़ मार दिया। जवाब में, गौरी ने गुस्से में किचन से चाकू उठाकर राकेश की तरफ फेंका, जिससे उसे हल्की चोट लग गई। यह देखकर राकेश और ज्यादा गुस्से में आ गया और उसने चाकू से गौरी की गर्दन पर कई वार कर दिए, जिससे उसकी मौत हो गई।
पूरी रात शव से बातें करता रहा
हत्या के बाद, राकेश पूरी रात अपनी पत्नी के शव के पास बैठा रहा और उससे बातें करता रहा। पुलिस जांच में पता चला कि वह बार-बार उससे पूछ रहा था कि उसने झगड़ा क्यों किया, उसे दोष क्यों दिया, और बेंगलुरु आने से नफरत क्यों थी। यह भयावह दृश्य अगले दिन सुबह तक चलता रहा।
भागने की कोशिश और कबूलनामा
सुबह होते ही, राकेश ने गौरी के शव को एक बड़े ट्रॉली सूटकेस में रखा और बाथरूम में रख दिया। उसने पुलिस को बताया कि उसने ऐसा क्यों किया, यह उसे खुद भी समझ नहीं आया।
दोपहर करीब 12:15 बजे, उसने घर को बंद किया और अपनी कार से पुणे की ओर निकल पड़ा। कुछ घंटों बाद, शाम 5:00 बजे के आसपास, उसने ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले किरायेदार को फोन किया और कहा कि उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली है। लेकिन कुछ ही मिनटों बाद, उसने कबूल कर लिया कि उसने गौरी की हत्या की है।
यह सुनकर मकान मालिक ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और महाराष्ट्र पुलिस की मदद से राकेश को पुणे के पास गिरफ्तार कर लिया, जब वह आत्मसमर्पण करने ही वाला था।
आत्महत्या की नाकाम कोशिश
पकड़े जाने से पहले, राकेश ने फिनाइल पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने समय रहते उसे बचा लिया और अस्पताल में भर्ती कराया। वह अब खतरे से बाहर है और इलाज चल रहा है। बेंगलुरु पुलिस उसे जल्द ही महाराष्ट्र से बेंगलुरु लाने के लिए कोर्ट से ट्रांजिट वारंट लेने की प्रक्रिया में लगी हुई है।
गौरी का परिवार सदमे में
गौरी के परिवार वाले बेंगलुरु पहुंच चुके हैं और पुलिस की मदद कर रहे हैं। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गुस्से और तनाव को काबू में न रखना कितना खतरनाक हो सकता है।
सीखने योग्य बातें
यह घटना हमें यह सिखाती है कि गुस्सा और निराशा अगर समय रहते संभाली न जाए, तो इसका अंजाम बेहद भयानक हो सकता है। किसी भी रिश्ते में बहस और मतभेद आम बात है, लेकिन हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है। अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को मानसिक तनाव, गुस्से की समस्या या घरेलू विवाद का सामना करना पड़ रहा है, तो सही समय पर मदद लेना जरूरी है।